कलियुगी रामायण
जहा,
वैश्याऔ का तांता
दलालो की भीड
इकठ्ठा होत जाय,
कलियुगी रामायण
वहा घटत जाय ,
जहा ,
हर चोर ,उचक्का
बगल मे छुरी दबाकर
साधु संत बनत जाय
कलियुगी रामायण
वहा घटत जाय
जहा,
लुटैरा डाकु - नैता
भिखमंगी जनता
रामगुण गात जाय
कलियुगी रामायण
वहा घटत जाय
जहा
हर नकली ,हर फर्जी
मुखौटा बांधकर असली
रामभगत बनत जाय
कलियुगी रामायण
वहा घटत जाय
जहा
हर सियार ,रंडुआ
काला कुत्ता बन
सारा घी चाट जाय
कलियुगी रामायण
वहा घटत जाय
जहा
नीच अधम बने राजा
अडंबक करी साजा
रामदुत बनत जाय
कलियुगी रामायण
वहा घटत जाय
जहा
लक्ष्मण करी है
मीली भगत लकेंंश से ,
बीभीषण सीता हरी जाय ,,
कर भरत को अयौध्या पार,
राम ना कोहु प्रपंच येसा
मग्न सो वो खुदही खुदहीमे ,,
, भोग भौगता जाय.,
राम नाम राम के ही मुखसे
खुदही गाता जाय ,,,,,!!!!
उस राम का नगर यैसा ,
जहा ,,,,,
ना स्थिती , ना स्थिरता,
ना विनय , ना प्रज्ञा
ना चैतना , ना चित्तसा
ना कर्तव्य , ना वचना ,
ना धर्म , ना अवधारणा ,
ना नीती , ना परायणता
ना दक्षता , ना दातृता,,,
कलियुगी रामायण
वहा घटत जाय !!!!!
—— by Dr Nilesh !!
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